दरौली घाट पर पीपा पुल हटाने का कार्य जोरों पर, सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन की सतर्कता

 


सिकन्दरपुर (बलिया)। उत्तर प्रदेश और बिहार के दरौली घाट को जोड़ने वाला अस्थायी पीपा पुल अब हटाए जाने की प्रक्रिया में है। सरयू नदी में लगातार बढ़ रहे जलस्तर के कारण लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने यह महत्वपूर्ण और एहतियाती कदम उठाया है, ताकि न केवल विभागीय संसाधनों को संभावित नुकसान से बचाया जा सके, बल्कि क्षेत्र में आवागमन की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके। इस कार्य को तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया गया है, जिससे प्रशासन की सजगता और आपदा प्रबंधन की दिशा में सक्रियता स्पष्ट झलकती है।


लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर शुरू हुए इस कार्य के पहले चरण में नदी के दोनों किनारों पर रेत में बिछाई गई भारी-भरकम चक्का प्लेटों को हटाने का काम तेजी से चल रहा है। मजदूरों की टीमें दिन-रात इस कार्य में जुटी हैं, ताकि समय रहते सभी प्लेटों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके। विभागीय सूत्रों ने बताया कि यदि जलस्तर में अचानक और तेजी से वृद्धि होती है, तो ये भारी प्लेटें नदी की रेत में डूबकर दब सकती हैं। ऐसी स्थिति में इन्हें निकालना न केवल अत्यंत कठिन होगा, बल्कि यह कार्य लगभग असंभव और आर्थिक रूप से बेहद खर्चीला साबित हो सकता है। इससे विभाग को लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।


पुल के निर्माण और रखरखाव से जुड़े ठेकेदार ने बताया कि चक्का प्लेटों को हटाने के बाद अगले चरण में पीपों को एक-दूसरे से अलग किया जाएगा। इसके बाद इन्हें नदी के किनारे सुरक्षित रूप से बांधकर रखा जाएगा, ताकि बाढ़ या तेज बहाव के दौरान ये बह न जाएं। ठेकेदार ने इस प्रक्रिया को अत्यंत सावधानीपूर्वक और व्यवस्थित ढंग से करने की बात कही, ताकि भविष्य में इन पीपों और प्लेटों का पुनः उपयोग संभव हो सके। 


नदी विज्ञान और जल प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि बीते कुछ दिनों से क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण सरयू नदी का जलस्तर अब तक लगभग चार फीट तक बढ़ चुका है। मौसम विभाग और विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है, जिसके चलते जलस्तर में और वृद्धि की संभावना है। इस स्थिति को देखते हुए लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन ने समय रहते यह निर्णय लिया है, जो न केवल संसाधनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा और आवागमन की सुविधा को भी सुनिश्चित करता है।


स्थानीय प्रशासन की इस त्वरित कार्रवाई और सतर्कता की क्षेत्रवासियों ने भी सराहना की है। दरौली घाट पर बना यह अस्थायी पीपा पुल न केवल सिकन्दरपुर और दरौली के बीच आवागमन का प्रमुख साधन है, बल्कि यह दोनों राज्यों के बीच व्यापार, सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी महत्वपूर्ण माध्यम है। ऐसे में, इस पुल को समय रहते सुरक्षित करना न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए भी एक राहत की बात है। 


लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस कार्य को पूरी तरह पारदर्शी और त्वरित गति से पूरा करने के लिए सभी आवश्यक संसाधन जुटाए गए हैं। साथ ही, स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस प्रक्रिया के दौरान आमजन को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि जैसे ही नदी का जलस्तर सामान्य होगा, पीपा पुल को पुनः स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, ताकि क्षेत्र में यातायात और जनजीवन सामान्य रूप से चल सके।


यह कदम न केवल संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन की दूरदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि समय पर उठाए गए कदम आपदा के प्रभाव को कम करने में कितने प्रभावी हो सकते हैं। इस कार्य से न केवल सरकारी संसाधनों की रक्षा होगी, बल्कि यह क्षेत्र के लोगों के लिए भी एक सुरक्षित और व्यवस्थित आवागमन का भरोसा देता है।

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