बिहार में पूरी हो चुकी है प्रक्रिया
बिहार में SIR का काम पहले ही पूरा हो चुका है, जहाँ 30 सितंबर 2025 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की गई थी। बिहार में 6 और 11 नवंबर 2025 को दो चरणों में मतदान होगा, जबकि 14 नवंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे।
इन 12 राज्यों में शुरू होगा दूसरा चरण
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि इस बार एक पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1,000 मतदाता ही रखे जाएंगे ताकि प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित हो सके।
SIR का पूरा शेड्यूल
| चरण | अवधि | विवरण |
|---|---|---|
| ट्रेनिंग व प्रिंटिंग कार्य | 28 अक्टूबर – 3 नवंबर 2025 | BLOs और कर्मियों को प्रशिक्षण |
| घर-घर सर्वे व डेटा अपडेट | 4 नवंबर – 4 दिसंबर 2025 | मतदाताओं से जानकारी एकत्र करना |
| ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी | 9 दिसंबर 2025 | प्रारंभिक सूची प्रकाशित होगी |
| क्लेम व ऑब्जेक्शन की अवधि | 9 दिसंबर 2025 – 8 जनवरी 2026 | आपत्ति/संशोधन का समय |
| फाइनल मतदाता सूची जारी | 7 फरवरी 2026 | अंतिम मतदाता सूची जारी होगी |
इन दस्तावेजों की होगी जरूरत
SIR के दौरान नाम जोड़ने या संशोधन के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत होगी:
- जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate)
- पासपोर्ट
- एजुकेशनल सर्टिफिकेट
- पेंशन पेमेंट ऑर्डर
- बैंक, पोस्ट ऑफिस या LIC द्वारा जारी सर्टिफिकेट
- परमानेंट रेजिडेंस सर्टिफिकेट
- फॉरेस्ट राइट सर्टिफिकेट
- जाति प्रमाण पत्र
- राज्य/स्थानीय निकाय द्वारा तैयार फैमिली रजिस्टर
- जमीन या मकान आवंटन प्रमाण पत्र
कौन बन सकता है मतदाता?
संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति मतदाता बन सकता है, यदि वह:
- भारत का नागरिक हो
- न्यूनतम 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
- जिस क्षेत्र में वोट डालना चाहता है, वहां का स्थायी निवासी हो
- और कानून के तहत अयोग्य घोषित न किया गया हो
कब हैं इन राज्यों में चुनाव?
| राज्य | विधानसभा चुनाव वर्ष |
|---|---|
| पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी | 2026 |
| उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा | 2027 |
| मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ | 2028 |
| अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप | केंद्रशासित प्रदेश |
मुख्य उद्देश्य
इस पुनरीक्षण का मकसद है कि मतदाता सूची को सटीक, त्रुटि-रहित और अद्यतन बनाया जाए। यानी ऐसे नाम जो मृत, स्थानांतरित या अयोग्य हैं, उन्हें हटाया जाए, और जो नए 18 वर्ष के नागरिक हैं, उन्हें शामिल किया जाए।
निष्कर्ष
SIR अभियान से देशभर की चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में मदद मिलेगी। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बंगाल जैसे बड़े राज्यों में यह प्रक्रिया आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय करेगी।
