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सपा विधायक मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने कांवड़ यात्रा पर दिए बयान को लेकर जताया खेद, माफी मांगी

 


रिपोर्टर :-आलम खान

सिकन्दरपुर (बलिया)। समाजवादी पार्टी के विधायक मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने हाल ही में कांवड़ यात्रा को लेकर दिए गए एक बयान पर विवाद उत्पन्न होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खेद जताया है। उन्होंने कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है और उनका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को आहत करने का नहीं था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी सफाई, कहा— किसी की आस्था पर प्रश्न नहीं उठाया



रविवार को सपा कार्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए विधायक ने कहा:

"पूजा-पाठ की पद्धति, किसी की व्यक्तिगत आस्था का विषय है। किसी को भी किसी की आस्था पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। कांवड़ यात्रा हमारे देश की आध्यात्मिक संस्कृति का प्रतीक है। मैं धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता हूँ और हर परंपरा का सम्मान करता हूँ।"


बयान को गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया: विधायक

विधायक ने स्पष्ट किया कि उनके बयान को राजनीतिक रूप से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने कहा:

"मेरा मकसद कभी किसी धर्म या उसकी मान्यताओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। मैं केवल यह कहना चाहता था कि कांवड़ यात्रा के साथ-साथ शिक्षा भी जरूरी है। वर्तमान सरकार गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है—PDA वर्ग के बच्चों के लिए स्कूल बंद कर देना इसका उदाहरण है।"


मंदिरों के प्रति सम्मान और योगदान का किया उल्लेख

विधायक ने अपने क्षेत्र में मंदिरों और धार्मिक स्थलों के विकास के लिए किए गए प्रयासों का भी हवाला दिया।
उन्होंने कहा:

"हमने हमेशा मंदिरों और आश्रमों का सम्मान किया है। जंगली बाबा, मौनी बाबा और बालखण्डी नाथ आश्रमों के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये की स्वीकृति दिलाई है। विधायक निधि से चतुर्भुज नाथ मंदिर का कायाकल्प भी कराया गया है।"


राजनीतिक साजिश का लगाया आरोप

विधायक ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को "अधूरा और भ्रामक" बताया और कहा कि यह उनके राजनीतिक विरोधियों की साजिश है।

"सोशल मीडिया पर मेरा अधूरा वीडियो वायरल किया गया, जिससे मेरे बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। फिर भी, अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं दिल से क्षमा चाहता हूं।"


निष्कर्ष

इस विवाद और माफी के माध्यम से यह स्पष्ट है कि सार्वजनिक जीवन में शब्दों की जिम्मेदारी अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, यह भी जरूरी है कि किसी भी बयान को संदर्भ से काटकर प्रस्तुत करने से पहले उसकी पूरी सच्चाई को समझा जाए।


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