रिपोर्टर:-आलम खान
मुख्यमंत्री ने किया ‘निपुण विद्यालय’ घोषित, संसाधनों की कमी फिर भी बना आदर्श मॉडल
सिकन्दरपुर (बलिया)।
उत्तर प्रदेश सरकार की विद्यालय समायोजन नीति के तहत जहाँ कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों का विलय किया जा रहा है, वहीं बलिया जिले का कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय सिकन्दरपुर अपनी अद्वितीय शैक्षिक उपलब्धियों और उत्कृष्ट नामांकन संख्या के दम पर एक आदर्श मॉडल बनकर उभरा है।
1916 में स्थापित यह विद्यालय वर्तमान में 1264 छात्रों के नामांकन के साथ प्रदेश के सर्वाधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों में शामिल हो चुका है। न सिर्फ सिकन्दरपुर, बल्कि इसके आसपास के लगभग 10 गाँवों के छात्र यहां शिक्षा प्राप्त करने आते हैं, जिससे यह विद्यालय इस क्षेत्र का प्रमुख शैक्षिक केंद्र बन गया है।
गुणवत्ता और समर्पण से सरकारी स्कूल भी बन सकते हैं श्रेष्ठ
विद्यालय की लोकप्रियता और शैक्षिक गुणवत्ता यह प्रमाणित करती है कि यदि संसाधनों का उचित उपयोग, शिक्षकों की निष्ठा, और प्रबंधन का स्पष्ट दृष्टिकोण हो तो सरकारी विद्यालय भी निजी संस्थानों की तरह उत्कृष्ट हो सकते हैं।
विद्यालय को इसकी उपलब्धियों के लिए 27 जून 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा “निपुण विद्यालय” घोषित किया गया। मुख्यमंत्री ने प्रधानाध्यापक अभिलाष चंद्र मिश्रा को उनकी प्रभावशाली नेतृत्व क्षमता के लिए सम्मानित भी किया।
सम्मान समारोह में मिली राज्य स्तरीय पहचान
बलिया के गंगा बहुउद्देश्यीय सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने विद्यालय को सर्वाधिक नामांकन के लिए प्रशस्ति पत्र और सम्मान प्रदान किया।
बलिया के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) मनीष सिंह ने भी इस उपलब्धि को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए विद्यालय को प्रेरणास्त्रोत बताया।
"यह सफलता सामूहिक प्रयास की है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी हैं" – प्रधानाध्यापक मिश्रा
प्रधानाध्यापक अभिलाष चंद्र मिश्रा ने कहा:
“यह केवल मेरी नहीं, बल्कि हमारे सभी शिक्षकों की सामूहिक मेहनत का परिणाम है। हम गांव-गांव जाकर जनसंपर्क करते हैं, अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करते हैं और पूरी निष्ठा से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में लगे रहते हैं।”
लेकिन उन्होंने साथ ही विद्यालय की संसाधनों की गंभीर कमी की ओर भी ध्यान दिलाया:
“छात्र संख्या के अनुरूप सुविधाएं अपर्याप्त हैं। दो आरो प्लांट हैं, परंतु अक्सर खराब रहते हैं, जिससे शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाती। हम सामुदायिक सहयोग से स्थिति बेहतर करने का प्रयास करते हैं, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है।”
निष्कर्ष
कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय सिकन्दरपुर यह सिद्ध करता है कि सरकारी शिक्षा प्रणाली में संभावनाएं असीमित हैं। आवश्यकता है केवल संचालित नेतृत्व, जनसंपर्क, सामूहिक समर्पण और सतत निगरानी की। यदि शासन स्तर पर इस विद्यालय को संसाधनों से पूर्ण सहयोग मिले, तो यह मॉडल प्रदेश के अन्य विद्यालयों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है।